It's 23rd Mar today... and most of us would not be knowing whats special about this date...!!
and yes, why should we bother about this... its about 3 patriotic fools who sacrificed thr lives for thr country... at that too at such an age when they shud have been busy in other more intersted things.
Yeah, not sure about you but i feel like this because i haven't seen any one remembering them today, and Its Unfortunate.
Had it been 14th day of Feb... i need not tell you can think urself how many mails or scraps you wud have got and wud have posted... all News channels wud have been busy on covering how 14th Feb is being celebrated across country, but today... i haven't seen any news channel paying Tribute to such National Heros.
Some channel's are showing 'Mulayam's sexiest remarks' on women bill... some channels busy in showing Uvi's (Uvraj's) new affair with Anchal...
State Governments are busy in constructing Parks on the name of those who have only played politics and havn't sacrificed even a single bit to the country... they have funds to manage Rs. 200 Cr. on Birthday celebrations and are busy in recieving garlands made up of Rs 1000 notes...
Had these 3 fools known this is how this country will be run... i am sure they wud have given a second thot to what they did...
Now let me correct myself... they were not fool... but we are... They had far better maturity at such an early age... then sense of responsibilty and ownership they had for thr country is commendable.
I am proud of an Indian and Proud of Bhagat-RajGuru and Sukhdev.
... Kabhi kabhi mere dil mein khyaal aata hai!!
Tuesday, March 23, 2010
Thursday, December 24, 2009
ग्राहम बेल न होता तो क्या होता.. ;)!

काश अपना धीरज भी,
होता सागर की गहराई सा,
कट जाता मौसम,
ये सारा तनहाई का,
याद आती है बहुत,
ग़म है बहुत बड़ा जुदाई का,
खैर...
यादें आपकी साथ हैं,
और PCO भी पास है,
आप हैं यहाँ नहीं,
पर आपके एहसास हैं,
इन् आँखों को ना सही,
पर कानों को आराम है,
धन्य है वो ग्राहम बेल,
फ़ोन जिसका आविष्कार है,
आज तो मेरा उसको भी,
शत शत नमस्कार है... :)!
Wednesday, December 23, 2009
उनकी यादों के साए... - Me at best for BESTEST :)!

लगता है अपनी साँसों पर भी इनके पहरे हो गए,
देखता हूँ जिधर भी... सब एक चहरे हो गए,
बादलों की बात क्या चाँद की बिसात क्या,
आपके न होने से दिन में भी अँधेरे हो गए,
आपकी यादों के साए इतने गहरे हो गए,
अब तो ऐसा है असर जागतें हैं रात भर,
जैसे अपनी रातों में अब सवेरे हो गए...
आपकी यादों के साए इतने गहरे हो गए,
आपके सिवा कोई अब बात सूझती नहीं,
आपके सिवा कोई आवाज गूंजती नहीं...
कहते हैं अब सभी कि हम तो बहरे हो गए.....
आपकी यादों के साए इतने गहरे हो गए,
आपही का है असर कि चैन है न एक पहर,
इतनी है उथल पुथल ... कि जैसे सागर कि लहरें हो गए॥
आपकी यादों के साए इतने गहरे हो गए,
आपका जवाब क्या, इन आखों का इलाज़ क्या,
अब तो घड़ी घड़ी इनके भी बादल घनेरे हो गए.... :)!
आपकी यादों के साए इतने गहरे हो गए,
दोष आपका नहीं, हमें खुद का होश है नहीं,
पूछते हैं खुद का नाम... पागल - सिर-फिरे हो गए,
आपकी यादों के साए इतने गहरे हो गए,
थोड़ा लम्बा था सफ़र सुनसान थी डगर,
मगर ये साए आपके साथी हमारे हो गए...
आप प्यारे हैं हमें तभी आपके एहसास ये,
जीने के सहारे हो गए...
आपकी यादों के साए इतने गहरे हो गाए,
याद आती है मगर आके जाती नहीं,
आपके सिवा कोई बात भाती नहीं,
कलम रुकता नहीं हाँथ थकता नहीं...
लगता है हमें की हम भी अब कवी ठहरे हो गाए....
आपकी यादों के साए इतने गहरे हो गए,
हम तो आपमें ही हैं छुपे, ना मानो तो नाम देख लो :)!
इतना पढकर आपको लगता है क्या...
कि हम भी मझनुं के चेले हो गाए... :)!
पर हम भी क्या करें की आपकी यादों के साए इतने गहरे हो गए,
अब इससे ज्यादा क्या कहें ... खुद ही समझ लो ...
कविता हम रात के अँधेरे में ही लिख गए... :)!
अब समझे की आपकी यादों के साए कितने गहरे हो गाए... बोले तो बहुत गहरे :)!
For my BEST HALF Priyanka... :)!
नेता से अभिनेता... उफ्फ मार ही डालोगे ..:)!!

चढ़ा के तन बे नया लिबास,
बन गए हम नेता से लाट्साब,
कार छोड़ चढ़े बस में,
जाने को सरकारी आवास (विधानसभा),
आये कंडक्टर साहब, लेने हमसे हिसाब,
बोले...
अजी आज बहुत जम रहे हैं,
खादी की जगह सूट,
और चप्पल की जगह बूट,
क्या नयी पार्टी बना रहे हैं,
या फिर दल बदल रहे हैं,
या नेता धर्म छोड़, अभिनेता बन रहे हैं,
हमने कहा...
जनाब, मत करो भेजा ख़राब,
जल्दी करो अपना हिसाब,
stop आ रहा है पास,
और रही राजनीती की बात,
तो हम राजनीती को नया रंग दे रहे हैं,
खादी की जगह सूट को बूट का संग दे रहे हैं,
पर तुम क्यूं होते हो परेशान,
आखिर हम भी हैं इंसान,
जनता के सेवक लेते हैं राम नाम।
अरे खली सूट ही तो पहना है,
तो करते हो बदनाम,
तुम विरोधी पार्टी के लगते हो,
तभी उल्टा सीधा बकते हो,
अरे... हर नेता में अच्चा अभिनेता छुपा होता है,
जो चुनावी सभा में नज़र आता है,
अच्चा भाइयों कहा सुना माफ़ करना,
अगले चुनाव में हमे ही जितना,
हमारा निशान है-
फटा कुर्ता, टुटा मकान, ना राशन ना दुकान,
इतना सुन कंडक्टर बुदबुदाया,
मान गए नेता जी,
आप हैं महान तभी आपके पीछे सारा जहान (CBI),
but truely,
मेरा देश महान जो चुनते ऐसे इंसान...!!
....
बन गए हम नेता से लाट्साब,
कार छोड़ चढ़े बस में,
जाने को सरकारी आवास (विधानसभा),
आये कंडक्टर साहब, लेने हमसे हिसाब,
बोले...
अजी आज बहुत जम रहे हैं,
खादी की जगह सूट,
और चप्पल की जगह बूट,
क्या नयी पार्टी बना रहे हैं,
या फिर दल बदल रहे हैं,
या नेता धर्म छोड़, अभिनेता बन रहे हैं,
हमने कहा...
जनाब, मत करो भेजा ख़राब,
जल्दी करो अपना हिसाब,
stop आ रहा है पास,
और रही राजनीती की बात,
तो हम राजनीती को नया रंग दे रहे हैं,
खादी की जगह सूट को बूट का संग दे रहे हैं,
पर तुम क्यूं होते हो परेशान,
आखिर हम भी हैं इंसान,
जनता के सेवक लेते हैं राम नाम।
अरे खली सूट ही तो पहना है,
तो करते हो बदनाम,
तुम विरोधी पार्टी के लगते हो,
तभी उल्टा सीधा बकते हो,
अरे... हर नेता में अच्चा अभिनेता छुपा होता है,
जो चुनावी सभा में नज़र आता है,
अच्चा भाइयों कहा सुना माफ़ करना,
अगले चुनाव में हमे ही जितना,
हमारा निशान है-
फटा कुर्ता, टुटा मकान, ना राशन ना दुकान,
इतना सुन कंडक्टर बुदबुदाया,
मान गए नेता जी,
आप हैं महान तभी आपके पीछे सारा जहान (CBI),
but truely,
मेरा देश महान जो चुनते ऐसे इंसान...!!
....
हम्म.. असफलता रस...:) !
असफलता ने डाला डेरा,
सफलता ने हमसे मुंह फेरा,
आया जो असफलता का पतझड़,
एक भी पत्ता नहीं बचा डाल पर,
फिर आया नहीं बसंत...
बस यही था मेरी किस्मत का अंत,
उसी क्षेत्र में हार हुई जो कभी जीता हुआ था मेरा,
क्या मेरा कर्म वो बंजर भूमि,
नहीं जिस पे किसी का डेरा,
ऊपर वाले मैंने तेरा क्या था बिगाड़ा,
जो तूने मेरे हाथों से luck line को बिगाड़ा,
अरे सबको देता छप्पर फाड़ के
मुझे खली छप्पर ही देता,
तेरा क्या घाट जाता जो मुझको थोड़ी ज्यादा बुद्धि देता ;)!
मैं भी क्या क्या लिखता था... lol :)!!
सफलता ने हमसे मुंह फेरा,
आया जो असफलता का पतझड़,
एक भी पत्ता नहीं बचा डाल पर,
फिर आया नहीं बसंत...
बस यही था मेरी किस्मत का अंत,
उसी क्षेत्र में हार हुई जो कभी जीता हुआ था मेरा,
क्या मेरा कर्म वो बंजर भूमि,
नहीं जिस पे किसी का डेरा,
ऊपर वाले मैंने तेरा क्या था बिगाड़ा,
जो तूने मेरे हाथों से luck line को बिगाड़ा,
अरे सबको देता छप्पर फाड़ के
मुझे खली छप्पर ही देता,
तेरा क्या घाट जाता जो मुझको थोड़ी ज्यादा बुद्धि देता ;)!
मैं भी क्या क्या लिखता था... lol :)!!
जीत हार...
जैसे सुख का आनंद आता दुःख के संहार से,
हारता न जो कोई, तो कोई जीतता कैसे भला,
दुःख जो न होता ग़र तो सुख का कैसे चलता पता,
जीतते जीतते जो भूल जाते हैं हार को,
झेल पते हैं नहीं वो इस श्रृष्टि की मार को...
इस श्रृष्टि की मार को...!!
हारता न जो कोई, तो कोई जीतता कैसे भला,
दुःख जो न होता ग़र तो सुख का कैसे चलता पता,
जीतते जीतते जो भूल जाते हैं हार को,
झेल पते हैं नहीं वो इस श्रृष्टि की मार को...
इस श्रृष्टि की मार को...!!
अतीत और भविष्य ...
आज तू हंस ले आगे रोने के लिए,
आज तू सोले आगे जगाने के लिए,
आज अकर्मण्य है आगे भरने के लिए,
पर व़क्त है निश्चित बढेगा नहीं वो तेरे लिए,
पछतायेगा आगे अपने अतीत के लिए,
अभी व़क्त है संभल जा कुछ बनने के लिए,
नहीं तो होजा तैयार जमाने की सुनने के लिए,
हर रह कठिन है काहिलों के लिए,
कर्मठ बन सर उठा के जीने के लिए,
समय नहीं है बर्बाद करने के लिए,
समय का सद्पयोग कर कुछ बनने के लिए,
उन्नत विचार ला मन में सफकता के लिए,
दया-भाव, ईमानदारी - सम्मान पाने के लिए,
यही जीवन की सच्चाई है समझने के लिए...
आज कुछ अच्छा कर जा आने वाले कल के लिए,
जिस से याद करे दुनिया तुझे हर पल के लिए !!
आज तू सोले आगे जगाने के लिए,
आज अकर्मण्य है आगे भरने के लिए,
पर व़क्त है निश्चित बढेगा नहीं वो तेरे लिए,
पछतायेगा आगे अपने अतीत के लिए,
अभी व़क्त है संभल जा कुछ बनने के लिए,
नहीं तो होजा तैयार जमाने की सुनने के लिए,
हर रह कठिन है काहिलों के लिए,
कर्मठ बन सर उठा के जीने के लिए,
समय नहीं है बर्बाद करने के लिए,
समय का सद्पयोग कर कुछ बनने के लिए,
उन्नत विचार ला मन में सफकता के लिए,
दया-भाव, ईमानदारी - सम्मान पाने के लिए,
यही जीवन की सच्चाई है समझने के लिए...
आज कुछ अच्छा कर जा आने वाले कल के लिए,
जिस से याद करे दुनिया तुझे हर पल के लिए !!
उलझा मन...
बोल रहा मन धीरे से,
ऊब गया हूँ जीवन से,
हर सुख से हर साधन ,
फूलों से हर गुलशन से,
हर दुःख से हर तड़पन से,
तब कहे ह्रदय मेरे मन से,
उठा नज़र अपने तन से,
सोंच ज़रा अपनेपन से,
जो जुट जाये तू तन मन से,
गूँज उठे गुंजन स्वर से,
महक उठे गुलशन बंजर से,
क्या कुछ न तेरे बस में...
फिर क्यूं ऊबा तू जीवन से ?
कैसे बन सकता है कोई
ऐसे उलटे चिंतन से,
आगे चल क्या करना अतीत से,
जीवन तो जीने को हो क्या होगा मरने से,
भला तो है जीवन का अच्छी राह पे चलने से
... अच्छी राह पे चलने से...!!
ऊब गया हूँ जीवन से,
हर सुख से हर साधन ,
फूलों से हर गुलशन से,
हर दुःख से हर तड़पन से,
तब कहे ह्रदय मेरे मन से,
उठा नज़र अपने तन से,
सोंच ज़रा अपनेपन से,
जो जुट जाये तू तन मन से,
गूँज उठे गुंजन स्वर से,
महक उठे गुलशन बंजर से,
क्या कुछ न तेरे बस में...
फिर क्यूं ऊबा तू जीवन से ?
कैसे बन सकता है कोई
ऐसे उलटे चिंतन से,
आगे चल क्या करना अतीत से,
जीवन तो जीने को हो क्या होगा मरने से,
भला तो है जीवन का अच्छी राह पे चलने से
... अच्छी राह पे चलने से...!!
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