Wednesday, December 23, 2009

हम्म.. असफलता रस...:) !

असफलता ने डाला डेरा,
सफलता ने हमसे मुंह फेरा,
आया जो असफलता का पतझड़,
एक भी पत्ता नहीं बचा डाल पर,
फिर आया नहीं बसंत...
बस यही था मेरी किस्मत का अंत,
उसी क्षेत्र में हार हुई जो कभी जीता हुआ था मेरा,
क्या मेरा कर्म वो बंजर भूमि,
नहीं जिस पे किसी का डेरा,
ऊपर वाले मैंने तेरा क्या था बिगाड़ा,
जो तूने मेरे हाथों से luck line को बिगाड़ा,
अरे सबको देता छप्पर फाड़ के
मुझे खली छप्पर ही देता,
तेरा क्या घाट जाता जो मुझको थोड़ी ज्यादा बुद्धि देता ;)!


मैं भी क्या क्या लिखता था... lol :)!!

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