Wednesday, December 23, 2009

अतीत और भविष्य ...

आज तू हंस ले आगे रोने के लिए,
आज तू सोले आगे जगाने के लिए,
आज अकर्मण्य है आगे भरने के लिए,
पर व़क्त है निश्चित बढेगा नहीं वो तेरे लिए,
पछतायेगा आगे अपने अतीत के लिए,
अभी व़क्त है संभल जा कुछ बनने के लिए,
नहीं तो होजा तैयार जमाने की सुनने के लिए,
हर रह कठिन है काहिलों के लिए,
कर्मठ बन सर उठा के जीने के लिए,
समय नहीं है बर्बाद करने के लिए,
समय का सद्पयोग कर कुछ बनने के लिए,
उन्नत विचार ला मन में सफकता के लिए,
दया-भाव, ईमानदारी - सम्मान पाने के लिए,
यही जीवन की सच्चाई है समझने के लिए...
आज कुछ अच्छा कर जा आने वाले कल के लिए,
जिस से याद करे दुनिया तुझे हर पल के लिए !!

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